कोरोना के समय में वैश्विकस्तर पर एशियाई लोगों के साथ नस्लीय भेदभाव
https://www.hrw.org/sites/default/files/media_2021/02/202102us_protest_oklahoma.jpgएशिया के एक देश, चीन के
वुहान शहर से कोरोना वायरस की उत्पत्ती मानी जाती है। इस वजह से दुनिया के अन्य
देशों के लोगों द्वारा एशियाई लोगों के साथ नस्लीय भेदभाव किया जा रहा है। पूर्व राष्ट्रपति
डोनाल्ड ट्रंम्प की बयानबाजी ने कोरोना वायरस को “चीन वायरस” बताया, जिसने अंतराष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं। विशेषज्ञों का कहना है कि भड़काऊ टिप्पणियों ने सोशल मीडिया और वास्तविक जीवन में नफरत
फैलाने में मदद की। एशियाई समुदायों को लक्षित करने वाले घृणा अपराधों या नस्लीय
भेदभाव में वैश्विक वृद्धि की कई घटनाएं सामने आ रही है।
यूके पुलिस डेटा के अनुसार
2018 और 2019 की समान अवधि की तुलना में 2020 की पहली तिमाही में चीनियों, पूर्व
और दक्षिण पूर्व एशियाई लोगों के प्रति घृणा अपराधों में 300 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। राष्ट्रीय स्वास्थय सेवाओं में काम कर रहे ESEA विरासत की नर्सों
ने भी रोगियों के साथ हो रहे नस्लीय भेदभाव की सूचना दी है।
एशियन अस्ट्रेलियन एलायंस
को पिछले साल अप्रैल और जून के बीच कोविड-19 से संबंधित नस्लवाद की 377 रिपोर्टे
मिलीं। इसके संस्थापक, एरिन वेन ए च्यू का कहना है कि संगठन ने अप्रैल 2020 से
अबतक कोविड-19 से संबंधित नस्लवाद की 500 से अधिक घटनाओं को दर्ज किया है, जिनमें
से लगभग 40 प्रतिशत आकस्मिक नस्लवादी है और लगभग 11-12 प्रतिशत में शारीरिक धमकी
शामिल है।
उपरोक्त तथ्य और आँकड़े आज
के समय में नस्लवाद की वास्तविकताओं को सामने ला रहें है। इन तथ्यों से यह पता
चलता है कि भौगोलिक दूरी के बावजूद ESEA समुदाय किस तरह नस्लीय भेदभाव का सामना करते हैं। इससे कोई
फर्क नहीं पड़ता कि यह कहाँ हो रहा है, किसके साथ हो रहा है। इस नस्लीय भेदभाव को पूर्व
और दक्षिण पूर्व एशियाई समुदाय द्वारा महसूस किया गया।
शानदार 👌
ReplyDeleteअति उत्तम
ReplyDeleteBahut bdhiya
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