विक्रम : मूवी रिव्यू
लोकेश कनगराज द्वारा निर्देशित फिल्म विक्रम की शुरुआत सवालों
से शुरू होती है और उन सवालों के जवाब ढूँढने पर खत्म होती है।
सस्पेन्स और एक्शन का तड़का लगती फिल्म विक्रम 2 घंटे 53
मिनट का समय लेती है। फिल्म की कहानी पुलिस और ड्रग
सिंडिकेट के बीच धर-पकड़ पर आधारित है।
फिल्म की शुरुआत दिलचस्प तरीके से होती है, शुरुआत में ही शहीद सिपाही प्रपंचन (कालिदास जयराम) के पिता कर्णन (कमल हासन) की हत्या दिखाई जाती है, जो नकाबपोश समूह द्वारा किया जाता है। नकाबपोश समूह एक श्रृंखला के तहत लोगों की हत्या कर रहा है और इसे सिस्टम के खिलाफ अपनी लडाई बताता है।
इस हत्या के साथ ही कई सारे सवाल उठते है। कर्णन को नकाबपोश क्यों मारते है? अगर नकाबपोश समूह इसे सिस्टम के खिलाफ लडाई बताते है तो कर्णम का संबंध सिस्टम से कैसे है? नकाब के पीछे असली चेहरा कौन है? सबसे महत्वपूर्ण बात कि क्या कर्णम मर चुका है या जीवित है?
कर्णन के हत्या की गुत्थी सुलझाने और नकाबपोश समूह का पर्दाफाश करने के लिए फिल्म में एंट्री होती है अमर (फहद फासिल) की। जो पुलिस प्रमुख जोस (चेम्बन विनोद जोस) के नेतृत्व में अपने ब्लैक ऑप्स टीम के साथ कर्णन के जीवन की खुदाई शुरू करता है। मुख्य संदिग्ध संधानम (विजय सेतुपति) है, जो एक बड़े परिवार के साथ एक भयानक ड्रग लॉर्ड है, जो कच्चे माल की एक खेप की तलाश में है जो उसे ड्रगस की दुनिया का बेताज बादशाह बना सके। इस बीच अमर को कर्णन के कई रूपों का पता चलता है। कुछ शराबी तो कुछ उसे लड़कीबाज़ बताते है लेकिन जब अमर इसकी तह तक जाता है तो वो कुछ और ही पाता है। कहीं उसे अच्छा तो कहीं बुरा बताया गया है। जिसे जानकर अमर को हैरानी होती है।
अमर कर्णम के हत्या की गुत्थी कैसे सुलझाता है? कर्णन कौन है? पुलिस कैसे ड्रग सिंडिकेट को पकड़ती है? इन सारे सवालों के जवाब जानने के लिए देखिये मूवी विक्रम।
विक्रम अपने पहले हाफ में सबसे अच्छा काम करता है, जब हम देखते हैं कि अमर और उसकी टीम हत्याओं को समझने और हत्यारों को ट्रैक करने की कोशिश कर रही है। भले ही इन हिस्सों में कमल हासन के बहुत कम सीन हैं, फिर भी हम चरित्र और अभिनेता दोनों के रूप में उनकी उपस्थिति को महसूस करते रहते हैं। विजय सेतुपति एक निर्दयी खलनायक की भूमिका निभाते हुए दिखाये गए है। अमर के किरदार में फहद फासिल ने अच्छा अभिनय किया है। जबरदस्त एक्शन और सिनेमेटोग्राफि मूवी को प्रभावी बनाती है।
फिल्म को इमोशनल टच देने के लिए कर्णन और प्रपंचन के बच्चे के रिश्ते को बहुत इमोशनली दिखाया गया है। एक्शन नायकों से भरी फिल्म में, सबसे बड़ा सामूहिक क्षण एक स्टंट दृश्य में आता है जिसमें एक महिला चरित्र (एक नौकरानी / जासूस, वसंती द्वारा निभाई गई) शामिल होती है। जो बच्चे की जान बचाने में अपनी जान कुर्बान कर देती है। फिल्म को यादगार होने के लिए ऐसे और पलों की जरूरत थी। इसके अलावे कुछ अनावश्यक सीन को कट करके फिल्म को थोड़ा छोटा बनाया जा सकता था।
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