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गणतंत्र विशेषाकं

भारतीय गणतंत्र में अपना परचम लहराती भारतीय महिलाएं....


जो
महिलाएं अपनी शक्ति पहचान लेतीं हैं, सफलता उनकी कदम चुमती है। अपने जज्ब़े, हौसलें और मेहनत से अपने सपनों को सच करतीं महिलाएं, हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रहीं हैं। बिजनेस हो या बॉलीवुड, राजनीति हो या रणभूमि, खेल हो या सेना की फौज यानि हर जगह पुरुषों के साथ महिलाएं भी बराबरी से अपना योगदान दें रहीं हैं। रक्षा क्षेत्र में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहीं हैं और साबित कर रहीं हैं कि किसी भी मामलें में छोड़ियां छोड़ो से कम न है। तो आइए जानते हैं देश की कुछ ऐसी ही नायिकाओं के बारें में....

अवनि चतुर्वेदी – आसमान में पंछियों को उड़ता देख, खुद भी उन्हीं की तरह उड़ने का सपना देखने वाली अवनि चतुर्वेदी ने अपने हौसलों की उड़ान से अपने सपने को सच कर दिखाया। मिग-21 जैसे लड़कू विमान को अकेले उड़ाकर देश की पहली महिला फाइटर पायलट बनने का गौरव प्राप्त किया।


उन्होंने यह साबित कर दिया कि कोई भी काम महिलाओं के लिए नामुमकिन नहीं, उन्होंने न सिर्फ अपना सपना पूरा किया बल्कि महिलाओं के लिए फाइटर पायलट बनने का दरवाजा भी खोल दिया। वर्तमान में वह राजस्थान के सूरतगढ़ में स्क्वॉड्रन न0.23 में तैनात है।

भावना कांठ— बिहार की वो बेटी जो जमीन पर रहते हुए आसमान की उंचाईयों को छू गई। हम बात कर रहे है भावना कांठ की, जो पहले देश की महिला फाइटर पायलट और 2021 में गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होने वाली पहली महिला बनीं


रफाल, सुखोई के साथ-साथ बाकी विमान उड़ाने की इच्छा जाहिर करने वाली भावना वर्तमान में राजस्थान के बीकानेर के नल बेस में तैनात है।

हिना जयसवाल—बचपन से ही सेना में भर्ती होने का सपना देखने वाली हिना जयसवाल बड़ी होकर अपनी मंजिल पाने में कामयाब रहीं। अपने बुलंद हौसलों की उड़ान के बदौलत वह 2019 में भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की पहली महिला फ्लाइट इंजीनियर बन कर इतिहास रचती हैं। वह पंजाब की राजधानी चंड़ीगढ़ की रहने वाली है।


सीमा भवानी— पिछले साल पहली बार देश की किसी महिला सेना ने बाइक स्टंट में भाग लिया था।  सीमा भवानी और उनकी टीम में शामिल 106 BSF की सदस्यों ने रॉयल एनफील्ड जैसे बाइक पर हैरतअंगेज करतब दिखाकर लोगों का दिल जीत लिया था।


कमाल की बात ये थी कि उन 106 BSF की सदस्यों की टीम में 5-7 लड़कियों को छोड़कर अन्य किसी को बाइक चलाना नहीं आता था और कुछ तो  कभी साईकिल भी नहीं चलाई थी। पर कहते है न कि अगर महिला कुछ करने का ठान ले तो समझो कर के ही मानती है, इन लड़कियों ने कर के दिखाया। ऐसा स्टंट दिखाया जिसे देखकर सभी लोग हैरान रह गए। इस बार फिर राजपथ पर अपना जलवा दिखाने के लिए तैयार है सीमा भवानी और उनकी टीम

न सिर्फ रक्षा क्षेत्र बल्कि राजनीति के गलियारों में भी कुछ अहम बदलाव आएं है---


शबनम मौसी -- देश की पहली किन्नर विधायक बनीं शबनम मौसी ने मध्य प्रदेश राज्य के शहडोल जिले के सोहागपुर निर्वाचन क्षेत्र से वर्ष 2000 के उपचुनाव में निर्दलीय विधायक के रूप में चुनाव जिता था। एक किन्नर का विधायक बनना बदलते भारत की सोच को दिखाता है। वह 1998-2003 तक एमपी विधानसभा के लिए निर्वाचित सदस्य थी। बारह भाषाओं की जानकार, शबनम ने 2003 में एमपी में हिजड़ो के लिए जीती जिताई राजनीति नामक स्वंय की राजनीतिक पार्टी की स्थापना की। इसके अलावा हिजड़ो को राजनीति की मुख्यधारा में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। उनके जीवन पर आधारित फिक्शन फीचर फिल्म शबनम मौसी 2005 में रिलीज हुई थी।                                                                                                      शबनम मौसी


ममता बनर्जी  लगातार तीन बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनने वाली और वर्तमान में

प्रधानमंत्री पद की सबसे बड़ी दावेदार मानी जाने वाली ममता बनर्जी ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत 21 साल की उम्र में महिला कांग्रेस महासचिव पद (1976) से की थीं। वर्ष 1984 में देश की सबसे युवा सांसद बनीं और 1988 में तृणमूल कांग्रेस पार्टी बनाई और आज सत्ता में है। जिद और टकराव की इस राजनीति ने ही उनको कामयाबी दिलाई है। उनकी छवि एक ऐसे नेता की बन रही है जो केंद्र की एनडीए सरकार, प्रधानमंत्री, भाजपा और उसके ताकतवर नेताओं से भी दो-दो हाथ करने से नहीं डरती।

वर्तमान की महिलाओं की उपलब्धियों के इतर भी भारतीय इतिहास में कुछ महान राजनीतिज्ञ महिलाएं है जो राजनीति में रूचि रखने वाली महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनीं। मसलन भारत रत्न इंदिरा गाँधी (भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री), प्रतिभा पाटिल (पहली महिला राष्ट्रपति), सुचेता कृपलानी (पहली महिला मुख्यमंत्री), सरोजिनी नायडू (पहली भारतीय महिला अध्यक्ष और देश की पहली महिला राज्यपाल), सुषमा स्वराज (दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और भारत की पहली महिला विदेश मंत्री)।

भारत विविधताओं वाला देश और इसकी विविधता ही इसकी ताकत है। गणतंत्र भारत को और मजबूती प्रदान करने के लिए देश की महिलाएं भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही है और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे रहीं हैं। आज की महिलाओं का बस इतना ही कहना है "मैे भी छू सकती हूँ आकाश, मौके कि मुझे है तलाश" यानि जब भी मौका मिलता है महिलाएं खुद को सशक्त बनाने की कोशिश करती है। जरुरत है महिलाओं को भी समान अवसर प्रदान करने की।

गणतंत्र दिवस की आप सभी साथियों को हार्दिक शुभकामनाएं !💫


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